Thursday, 31 May 2012

जल संकट पर सूखा विपक्ष का गला

दिल्ली विधानसभा के बजट सत्र में राजधानी में चल रहे पानी के संकट पर भी खासा हाहाकार मचा। विपक्ष का आरोप था कि इन दिनों पानी का गंभीर संकट चल रहा है और सरकार उससे निपटने के लिए ठोस उपाय नहीं कर रही। उनका यह भी आरोप था कि पानी के वितरण में भी भेदभाव बरता जा रहा है, जिससे कई इलाकों में कई-कई दिनों तक पानी नहीं आ रहा। विपक्ष ने मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को जल देवी घोषित करते हुए कहा कि क्या पानी के लिए उन्हें अपनी जान देनी पड़ेगी। खास बात यह रही कि इस समस्या पर मुख्यमंत्री ने कोई बयान नहीं दिया, उलटे विपक्ष को धमका दिया कि वह अध्यक्ष को निर्देशित कर रहा है। 

सदन में विशेष उल्लेख के दौरान सदस्य जब अपने इलाके की समस्याओं को उठा रहे थे, इसी दौरान विपक्षी सदस्यों धर्मदेव सोलंकी, रमेश बिधूड़ी, सुभाष सचदेवा, कुलवंत राणा, अनिल झा आदि ने पानी के गंभीर संकट का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि पूरी दिल्ली के साथ उनके इलाके में भी पानी का संकट चल रहा है, लेकिन सरकार उससे निपटने के कोई उपाय नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि लाखों करोड़ों रुपये की लागत से कई इलाकों में यूजीआर (अंडरग्राउंड रिजरवेयर) बना दिए गए हैं, लेकिन वहां तक पानी नहीं पहुंच रहा। ये यूजीआर खंडहर बनते जा रहे हैं और इनके निर्माण में भ्रष्टाचार की बू आती है। सदस्यों ने यह भी कहा कि सुबह होते ही लोग उनके घरों में पहुंच जाते हैं कि पानी दो, लेकिन वो कुछ नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि करोड़ों रुपये की लागत से मुनक नहर बनकर तैयार है, लेकिन उसमें पानी हीं नहीं आ रहा है। उन्होंने इस नहर के निर्माण में भी घपला बताया। 

विपक्षी सदस्य सचदेवा ने मुख्यमंत्री को जल देवी बताया और कहा कि उन्हें खुश करने के लिए उन्होंने मुंडन करवा दिया। लेकिन अब लगता है कि उन्हें जान ही देनी पड़ेगी, तभी इस जल देवी से उन्हंे पानी मिल पाएगा। राणा ने आरोप लगाया कि पानी के वितरण में भेदभाव किया जा रहा है, जिससे कई इलाकों में हाहाकार है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. योगानंद शास्त्री ने भी पानी के संकट पर सहमति जताई और कहा कि यह संकट कहीं क्रांति पैदा न कर दे। उन्होंने कहा कि हरियाणा से पूरा पानी न मिलने से जल संकट बढ़ रहा है। 

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