Friday, 29 July 2011

राष्ट्रमंडल खेल घोटाले को लेकर भाजपा ने अपना रखा है आक्रामक तेवर


Dainik Jagran- New Delhi 29 July 2011 

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो : राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान दिल्ली सरकार द्वारा कराए गए विकास कार्यो में आ रही घोटालों की बू से कांग्रेसी असहज महसूस कर रहे हैं। हालांकि सत्ता पक्ष होने के कारण कोई भी नेता खुलकर बोलने को तैयार नहीं है, लेकिन स्थिति को देखते हुए और कैग की आने वाली रिपोर्ट को लेकर अभी से ही दिल्ली सरकार व उसके अधिकारियों में बेचैनी देखी जा रही है। भाजपा तो पहले से ही आक्रामक तेवर अपनाए हुए है। उसकी तरफ से लगातार यह दोहराया जा रहा है कि दिल्ली सरकार द्वारा राष्ट्रमंडल खेल में जो घोटाले किए गए हैं, उसे देखते हुए जल्द से जल्द मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को इस्तीफा दे देना चाहिए। घोटाले से संबंधित खबरें दैनिक जागरण में लगातार प्रकाशित होने से अधिकारियों में यह चर्चा का विषय बन गया है। चर्चा करने वाले ज्यादातर अधिकारी स्वास्थ्य विभाग व पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग) से जुड़े हैं। राष्ट्रमंडल खेल के निर्माण कार्य के दौरान पीडब्ल्यूडी एक ऐसा क्षेत्र रहा है, जिसे छोटे से बड़े कई कार्य करवाने पड़े हैं। स्ट्रीट स्केपिंग से लेकर बारापुला ऐलीवेटेड मार्ग का निर्माण भी पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा कराया गया। अधिकारियों में बेचैनी इस बात को लेकर है कि शंुगलू कमेटी द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब तो दे दिया गया, लेकिन कैग रिपोर्ट में जो बातें सामने आएंगी, उनका सामना किस प्रकार से किया जाएगा। अधिकारी भी अंदरखाने इस बात को मानते हैं कि खर्च तो बेइंतहा हुआ है। हालांकि जिन विभागों पर आरोप लगे हैं, उनके कई वरिष्ठ अधिकारियों का स्थानांतरण भी हो चुका है। दूसरी तरफ, भाजपा पूरी तरह आक्रामक मूड में है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बिजेंद्र गुप्ता का कहना है कि दिल्ली को सजाने में ही 100 करोड़ खर्च करने का खेल हुआ है। 2700 रुपए प्रति पीस का ग्रेनाइट टाइल्स आया है। क्या सरकार ने टेंडर मंगाया था? बोलार्ड (छोटे खंभे) पर ही 48 लाख रुपए खर्च हुए हैं। सरकार क्या कर रही थी? दिल्ली को सवार रही थी या अपने घर को? कुछ इसी तरह के तेवर प्रतिपक्ष के नेता प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा के भी हैं। प्रो. मल्होत्रा का कहना है कि भाजपा तो निर्माण कार्य के दौरान ही यह दोहराती रही है कि खर्च को लेकर सरकार पारदर्शिता बरते। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। सौ करोड़ का खर्च हजारों करोड़ पर पहुंचकर समाप्त हुआ। आखिर इतने पैसे गए कहां? जाहिर है घोटाला हुआ है। इसके लिए पूरी तरह शीला सरकार जिम्मेवार है। उधर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में अलग ही बेचैनी है। उनकी भी नजर कैग रिपोर्ट पर है। जनता की तरफ से पूछा जा रहा है कि नेताजी आप तो संगठन मजबूत करने में लगे हैं, लेकिन राष्ट्रमंडल खेल में जो घोटाले हुए हैं, उस पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? नेताजी निरुत्तर हैं। उनमें चिंता इस बात को लेकर भी है कि अगले साल होने वाले एमसीडी (दिल्ली नगर निगम) चुनाव में किस मुंह से जनता के पास जाएंगे। विकास भले ही हुआ है, लेकिन इसकी कीमत जनता को काफी चुकानी पड़ी है।

No comments:

Post a Comment

test message